पटना विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार छात्रों के साथ अन्यायपूर्ण रवैया अपना रहा है। हाल ही में मेरिट बेसिस पर नामांकन प्रक्रिया लागू करने का निर्णय, विशेष रूप से उन छात्रों के हितों पर सीधा हमला है जो गरीब परिवारों से आते हैं और बिहार स्टेट बोर्ड से परीक्षा पास करते हैं। ऐसे छात्रों के लिए पटना विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का एकमात्र सहारा होता है, लेकिन इस निर्णय के माध्यम से उन्हें शिक्षा से वंचित किया जा रहा है।
यह सिर्फ गलत नहीं, बल्कि अन्यायपूर्ण और भेदभावपूर्ण है।
मैं, सलोनी राज – पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ की महासचिव, साफ तौर पर कहना चाहती हूँ कि
मैं हमेशा छात्रों के पक्ष में खड़ी रही हूँ और रहूंगी।
मैंने कभी भी विश्वविद्यालय प्रशासन की गलत नीतियों का समर्थन नहीं किया है और न ही उनकी कठपुतली बनने की कोशिश की है।
यह निर्णय विश्वविद्यालय प्रशासन की कामचोरी और अकर्मण्यता का नतीजा है, जिसकी भरपाई अब छात्रों से करवाई जा रही है। प्रशासन अपने कर्तव्यों से बचने के लिए ऐसे तुगलकी फरमान जारी कर रहा है।
हम इस निर्णय का पुरजोर विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस नोटिफिकेशन को तत्काल प्रभाव से वापस ले।
यदि प्रशासन ने छात्रों की मांगों की अनदेखी की,समस्त छात्र समाज मिलकर एक बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
अब समय है एकजुट होकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने का।
शिक्षा के अधिकार से किसी को भी वंचित नहीं किया जा सकता।

