स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत माता की गुलामी की बेड़ियां काटने के दौरान अपने प्राणों की आहूति देने वाले सारण के लाल अमर शहीद छठू गिरि, फागू गिरि एवं कमता गिरि का शहादत दिवस 13 अगस्त को मनाया जाएगा। शहीद स्मारक स्थल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में यहां के लोग शहीदों की शौर्य गाथा गाएंगे। छपरा-सीवान मुख्य मार्ग पर स्थित दाउदपुर पुरानी चट्टी के समीप स्मारक स्थल परिसर में आयोजन होगा। शहीद छठू गिरि में बचपन से ही क्रांति के बीज अंकुरित होने लगे थे। गांधी के नमक सत्याग्रह के दौरान उनकी उम्र बहुत ही कम थी। उस समय भी उनको 6 माह का कारवास हुआ था। देश की आजादी के लिए वे दिन रात लोगों को संगठित कर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाते रहे।
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सारण की धरती से धधकी क्रांति की ज्वाला
8 अगस्त 1942 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अंग्रेजों भारत छोड़ो, करो या मरो के घोषणा के बाद सारण की धरती से भी आजादी के दीवाने रणभूमि में कूद पड़े। इनमें दाउदपुर मठिया गांव के 13 वर्षीय छठू गिरि भी थे। आजादी का सपना लिए सीवान स्टेशन से साथियों के साथ मार्च करते हुए डाकघर पहुंचकर छठू गिरि ने वहां तिरंगा फहरा दिया। यह देख अंग्रेज सैनिक आग बबूला हो गए और उन्हें गोलियों से भून दिया।
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तीनों भाईयों को अंग्रेजों ने मारी थी गोली
जैसे ही यह खबर शहीद छठू गिरी के गांव पहुंची उनके भाई कमता गिरि व फागू गिरि ने रेलवे ट्रैक को उखाड़ दिया। अंग्रेजों ने उन्हें भी गोली मार दी। आजादी के बाद समय बीतने के साथ ही तीनों भाइयों की शहादत को भुला दिया गया। तीनों भाइयों की वीर गाथा गुमनामी में खो गई। हालांकि हाल के वर्षों में स्थानीय प्रबुद्ध लोगों, बुद्धिजीवियों व समाजसेवियों ने लोगों की मदद से तीनों भाइयों का स्मारक बनवाया।